
बीजेपी के आंतरिक सर्वे में 20 सीटें ?, अकेले लड़ने पर शिवसेना को नुकसान
मुंबई.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का अभी बिगुल
नहीं बजा है.लेकिन राजनीतिक पार्टियां अंदरखाने अपनी-अपनी ताकत टटोलने में लगी
हैं. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी -शिवसेना गठबंधन
ने राज्य की 48 सीटों में से 41 पर
कब्ज़ा किया था. जबकि कांग्रेस-2 ,राकां -4 और एक सीट स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के राजू शेट्टी के खाते में गयी थी. इस
वर्ष चुनाव से पहले बीजेपी ने राज्य में आंतरिक सर्वे कराया है. जिसमें नतीजा जो
सामने आया है उसके मुताबिक बीजेपी यदि 2019 के चुनाव में
अकेले मैदान में उतरती है तो उसके खाते में 18 से 20 सीटें आ सकती हैं. इस तरह पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी को 3 से 5 सीटों का नुकसान हो सकता है. जबकि 18 सीटें जीतने वाली शिवसेना यदि 2019 में अकेले चुनाव
लड़ती है तो उसे 4 से 5 सीटें मिलने का
अनुमान है. वहीं 2014 चुनाव से सबक लेते हुए कांग्रेस-राकां
ने इस बार गठबंधन कर चुनाव में उतरने का मन बनाया है. इसका उन्हें फायदा भी मिल
सकता है. गठबंधन के बाद कांग्रेस-राकां को राज्य में 20 से 22
सीटें मिलने का अनुमाना लगाया गया है. बीजेपी के एक नेता ने बताया
कि बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन न होने की दशा में सबसे ज्यादा नुकसान शिवसेना को ही
होगा. मतों के बंटवारे का फायदा कांग्रेस-राकां को होगा. यदि शिवसेना-बीजेपी मिल
कर लड़ते हैं तो कांग्रेस-राकां 10 से 12 सीटों के बीच सिमट जाएगी. उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों
वाले राज्य महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकां ने मिल कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर
दिया है. दोनों पार्टियां राज्य की 48 में से 45 पर सहमती बन गयी है. तीन सीटों पर अभी भी दोनों दलों के बीच बातचीत चल रही
है. कांग्रेस और राकां के बीच जिन तीन सीटों पर तालमेल की बातचीत चल रही है. उनमें
से दो सीटों पर कांग्रेस और राकां पहले मिल कर चुनाव लड़ चुकी हैं. जिन सीटों पर
दोनों दलों में सहमती नहीं बन सकी है उसमें नंदूरबार, अहमदनगर
और मराठवाड़ा की औरंगाबाद सीट शामिल है. बीजेपी और शिवसेना के बीच तनातनी के कारण
दोनों दलों के बीच गठबंधन यक्ष प्रश्न बना हुआ है. हालांकि बीजेपी की कोशिश है कि
शिवसेना के साथ मिल कर ही चुनाव लड़ा जाए. अगर गठबंधन नहीं हो पाता है तो बीजेपी
अकेले चुनाव लड़ने को भी तैयार है.
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